जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्नत में हज़रत उमर का महल देखा
हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम के वह महान सहाबी हैं जिनकी बहादुरी, इंसाफ और अल्लाह व उसके रसूल ﷺ से मोहब्बत की मिसालें दी जाती हैं। एक बार नबी करीम ﷺ जब मेराज (स्वर्ग यात्रा) से वापस तशरीफ़ लाए, तो आपने एक अनोखा वाकया बयान किया।
नबी ﷺ ने फ़रमाया: मैंने जन्नत में एक बहुत बड़ा और आलीशान महल देखा। उसके आँगन में एक औरत बैठी वुज़ू कर रही थी। मैंने पूछा यह महल किसका है? मुझे बताया गया कि यह महल हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का है।
नबी ﷺ ने फ़रमाया: मैं महल के अंदर जाना चाहता था, लेकिन मुझे उमर की गैरत (इज्ज़त व हया) का ख़्याल आया और मैं वापस लौट आया। यह सुनकर हज़रत उमर फूट-फूट कर रो पड़े और बोले: या रसूलल्लाह ﷺ! क्या मैं आप पर गैरत कर सकता हूं? मेरे मां-बाप आप पर क़ुर्बान हों!
हमें क्या सीख मिलती है
इस किस्से से हमें कई अहम सीख मिलती हैं:
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नबी ﷺ अपने सहाबा की भावनाओं और इज्ज़त का कितना ख्याल रखते थे।
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हज़रत उमर की गैरत, हया और अल्लाह से खौफ़ का स्तर कितना ऊँचा था।
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जन्नत की नेमतें उन लोगों के लिए हैं जो दीन पर सच्चे दिल से अमल करते हैं।
अगर हम भी अपनी नीयत और किरदार को पाक-साफ़ रखेंगे, तो इंशाअल्लाह हमारे लिए भी जन्नत के दरवाज़े खुल सकते हैं।