हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का वह मक़ाम जिससे जहन्नम का दरवाज़ा भी बंद रहा
हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु का नाम इस्लामी इतिहास में अद्वितीय है। वे सिर्फ एक खलीफा नहीं, बल्कि उम्मत की सुरक्षा की एक मज़बूत दीवार भी थे। इस वाकये में हम जानेंगे कि उन्हें “जहन्नम का ताला” क्यों कहा गया।
एक बार हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ि. ने हज़रत उमर रज़ि. के बेटे से कहा:
ऐ जहन्नम का ताला (क़ुफ़ल) के बेटे!
यह सुनकर हज़रत अब्दुल्लाह (बेटे) परेशान हो गए और घर जाकर अपने पिता से बोले:
अब्बा जान! अब्दुल्लाह बिन सलाम ने आपको जहन्नम का ताला कहा है!
हज़रत उमर यह सुनकर सीधे हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम के पास पहुँचे और पूछा:
आपने मेरे लिए ऐसा लफ़्ज़ क्यों इस्तेमाल किया?
उन्होंने जवाब दिया:
ये बात मुझे मेरे पिता ने और उन्हें उनके बाप-दादा ने बताई जो कि हज़रत मूसा अलैहि. से मुंतक़िल हुई थी। हज़रत मूसा ने बताया कि जिब्रील अलैहि. ने उन्हें खबर दी थी कि आखिरी उम्मत में एक शख्स होगा जिसका नाम उमर बिन खत्ताब होगा। जब तक वो ज़िंदा रहेगा, उम्मत महफूज़ रहेगी और जहन्नम का दरवाज़ा बंद रहेगा।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम ने कहा:
जब उमर का इंतिकाल होगा, तब जहन्नम का दरवाज़ा खुल जाएगा और लोग अपनी नफ्सानी ख्वाहिशों में पड़ जाएंगे।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाकये से हमें ये अहम सीख मिलती है:
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नेक और ताक़वा वाले लोग उम्मत की सुरक्षा के लिए ढाल होते हैं।
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हज़रत उमर रज़ि. का मक़ाम सिर्फ दुनिया में नहीं, बल्कि आख़िरत में भी बहुत ऊँचा था।
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जिब्रील अलैहि. और हज़रत मूसा अलैहि. की खबरों में भी उम्मत-ए-मुहम्मदिया के लिए उमर रज़ि. का ज़िक्र आता है।