हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का इस्लाम कबूल करने का वो लम्हा जिसने इस्लाम की तस्वीर ही बदल दी
हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु का इस्लाम कबूल करना इस्लामी इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। उनका दिल कैसे बदला, ये वाकया हर मुसलमान के लिए हिदायत और सबक से भरा हुआ है।
नबी ﷺ ने एक दिन अल्लाह से दुआ की
ए अल्लाह! उमर बिन खत्ताब के ज़रिए इस्लाम को इज्ज़त दे।
नबी ﷺ की दुआ के साथ ही वह लम्हा शुरू हुआ जो इस्लाम के लिए एक क्रांति बन गया।
उसी दिन हज़रत उमर गुस्से में तलवार लेकर नबी ﷺ को मारने के इरादे से निकल पड़े। रास्ते में एक शख्स मिला और पूछा:
कहाँ जा रहे हो?
उमर बोले:
मुहम्मद ﷺ को खत्म करने!
वह आदमी बोला:
अगर तुमने ऐसा किया, तो क्या बनी हाशिम तुम्हें छोड़ेंगे?
फिर कहा:
पहले अपने घर की खबर लो, तुम्हारी बहन फातिमा और बहनोई पहले ही मुसलमान हो चुके हैं!
ये सुनकर उमर और भी भड़क गए। वो सीधे बहन के घर पहुँचे। बाहर से उन्होंने कुरान की आवाज़ सुनी। अंदर हज़रत फातिमा और उनके शौहर हज़रत सईद बिन ज़ैद कुरान सीख रहे थे। एक सहाबी उन्हें सूरत ताहा पढ़ा रहे थे।
उमर के आने पर वह सहाबी एक कोने में छुप गए। उमर ने गुस्से में पूछा:
“ये आवाज़ किसकी थी?”
बहनोई बोले:
अगर हम हक़ पर हैं तो भी क्या तुम्हें बुरा लगेगा?
उमर ने उन्हें ज़ोर से धक्का दिया और कई मुक्के मार डाले।
बहन पर हमला और दिल का बदलना:
फातिमा यह देख रहीं थीं तो भाई को रोका। लेकिन उमर ने उन्हें भी मार डाला। उनका चेहरा खून से भर गया। फिर उमर ने कहा:
वो पन्ना दिखाओ जिसे तुम पढ़ रहे थे।
फातिमा बोलीं:
इसे सिर्फ पाक लोग छू सकते हैं। पहले वुज़ू करो।
उमर ने वुज़ू किया और जब कुरान की आयतें पढ़ीं — “ताहा… हमने तुम्हारे ऊपर यह कुरान दुख देने के लिए नहीं उतारा…” — तो उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।
उमर बोले:
मुझे फौरन मुहम्मद ﷺ के पास ले चलो।
वो सहाबी जो छुपे हुए थे, बाहर निकले और बोले:
खुशखबरी! मैंने खुद सुना है कि नबी ﷺ आपके लिए दुआ करते हैं कि अल्लाह आपको इस्लाम से नवाजे।
दारुल-अरकम में हज़रत उमर का इस्लाम कबूल करना
उमर दारुल-अरकम पहुँचे। दरवाज़े पर हज़रत हम्ज़ा और कुछ लोग मौजूद थे। वो उन्हें देखकर डर गए। हम्ज़ा बोले:
अगर अल्लाह ने भलाई लिखी है, तो हिदायत देगा, वरना हम खुद निपट लेंगे।
नबी ﷺ बाहर आए और उमर का कपड़ा पकड़ कर बोले:
क्या अब भी नहीं मानोगे उमर?
फिर वही दुआ दोहराई:
ए अल्लाह! उमर बिन खत्ताब के ज़रिए इस्लाम को इज्ज़त दे!
उमर बेइख्तियार हो गए और बोले:
“अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह व अशहदु अन्ना मुहम्मदुर रसूलुल्लाह!”
जैसे ही उमर ने कलिमा पढ़ा, सहाबा ने इतनी जोर से “अल्लाहु अकबर!” कहा कि मस्जिद के बाहर तक गूंज फैल गई। इस दिन से इस्लाम को एक मज़बूत सहारा मिल गया।
हमें क्या सीख मिलती है?
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अल्लाह की दुआ कब कबूल हो जाए, कोई नहीं जानता।
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एक दिल जो इस्लाम से कोसों दूर हो, वो एक आयत से बदल सकता है।
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हज़रत उमर जैसे लोग अगर इस्लाम में आ जाएं, तो पूरा माहौल बदल जाता है।
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नबी ﷺ अपने दुश्मनों के लिए भी हिदायत की दुआ करते थे।