जब एक बाप की फ़रियाद पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बेटे को रिहाई दिलवाई:
अंदलुस (Spain) के एक नेक आदमी का बेटा शाह-ए-रूम (Byzantine राजा) के हाथों कैद हो गया। राजा ने रिहाई के लिए 300 रुपये का जुर्माना लगाया। मगर उस आदमी के पास इतने पैसे नहीं थे।
वो अपने दोस्त से बोला:
मैं मदीना जा रहा हूँ, रोज़ा अनवर पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से फरियाद करूंगा।
रास्ते में एक दोस्त मिला। उसने कहा:
तुम्हें मदीना जाने की क्या ज़रूरत? हर जगह से नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शफाअत मिल सकती है!
उस नेक आदमी ने जवाब दिया:
मगर मेरा दिल तो रोज़ा अनवर पर ही सुकून पाएगा। मैं वहीं जाकर फ़रियाद करूंगा।
वो मदीना पहुँचा। रोज़ा अनवर पर हाज़िरी दी और नम आँखों से अपनी पूरी परेशानी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश की। उसी रात, उसे ख्वाब में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत हुई।
✨ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
जाओ, अपने घर वापस लौट जाओ।
वो शख्स वापसी के लिए रवाना हुआ। जब अपने घर पहुँचा तो देखा कि उसका बेटा घर पर मौजूद है!
हैरान होकर पूछा:
तू कब और कैसे छूटा?
बेटे ने बताया:
फलां रात राजा ने खुद आकर हमें रिहा कर दिया!
जब उस आदमी ने तारीख देखी, तो वही रात थी जिस रात नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत हुई थी।
इस वाकिए से हमें क्या सीख मिलती है?
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जब दिल में सच्चा यकीन और इख़लास हो, तो दूरी मायने नहीं रखती।
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नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से दिल से जुड़ी हर फरियाद सुनी जाती है, चाहे वह नींद में हो या रोज़ा अनवर पर।
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अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने सच्चे उम्मती की पुकार को कभी खाली नहीं लौटाते