ग़ुस्ल के वक़्त नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अदब और आसमानी रहनुमाई

जब अल्लाह ने खुद सिखाया नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अदब:

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद जब सहाबा किराम ने उनके ग़ुस्ल का इंतज़ाम शुरू किया, तो एक सवाल ने सबको उलझन में डाल दिया। वे आपस में सोचने लगे कि क्या नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को आम लोगों की तरह कपड़े उतार कर ग़ुस्ल दिया जाए या फिर कपड़ों समेत?

जब वे इस मुद्दे पर सलाह कर ही रहे थे, तभी अल्लाह की तरफ़ से एक चमत्कार हुआ। सभी सहाबा पर नींद का ग़ल्बा छा गया और उनके सिर झुककर सीने पर आ गए। फिर अचानक एक आवाज़ आई:
“क्या तुम जानते नहीं कि ये कौन हैं? ख़बरदार! ये रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं, इनके कपड़े मत उतारो। इन्हें कपड़ों समेत ही ग़ुस्ल दो!”

इस आवाज़ ने सबको झकझोर कर जगा दिया और फिर उन्होंने उसी हुक्म के मुताबिक, नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को उनके कपड़ों में ही ग़ुस्ल दिया। यह वाक़िया इस बात का गवाह है कि अल्लाह तआला ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अदब और तज़ीम को किस क़दर फ़रमाया।

हमें क्या सबक़ मिलता है?

इस वाक़िये से हमें यह सिखने को मिलता है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अदब और सम्मान हर हाल में जरूरी है, चाहे वह ज़िन्दगी हो या उसके बाद का कोई भी मामला। सहाबा ने जब भी किसी उलझन का सामना किया, अल्लाह ने उन्हें सीधा रास्ता दिखाया।

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