रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और चलने वाला पेड़

पेड़ ने भी पहचान ली अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को:

एक बार की बात है, एक बदू (गांव का अरबी) नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और बोला:

अगर आप सच में अल्लाह के रसूल हैं तो मुझे कोई निशानी दिखाइए।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:
ठीक है। सामने जो पेड़ है, जाकर उससे कहो कि तुम्हें अल्लाह का रसूल बुला रहा है।

वह अजनबी गया और उस पेड़ से कहा:
तुम्हें अल्लाह का रसूल बुला रहे हैं।

यह सुनकर पेड़ हिलने लगा। वह पहले झुका, फिर उसकी जड़ें ज़मीन से उखड़ गईं और वह पेड़ ज़मीन पर चलने लगा। सब लोग हैरान हो गए। वह पेड़ चलता हुआ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंचा और कहा:

अस्सलामु अलैकुम या रसूलल्लाह!

उस अजनबी ने कहा:
अब इसे वापस भेजिए ताकि यह अपनी जगह लौट जाए।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:
जाओ, अपनी जगह लौट जाओ।

यह सुनते ही वह पेड़ वापस मुड़ा और जाकर वहीं खड़ा हो गया जहाँ से आया था।

यह देखकर वह अजनबी ईमान ले आया और मुसलमान हो गया। फिर उसने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा:

क्या मैं आपको सजदा कर सकता हूँ?

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:
नहीं, सजदा करना इंसानों के लिए जायज़ नहीं।

उसने फिर कहा:
तो क्या मैं आपके हाथ और पैर चूम सकता हूँ?

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इजाज़त दी।
वह अजनबी आगे बढ़ा और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके हाथ और पैर चूम लिए।

हमें क्या सीख मिलती है:

  • नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सच्चाई सिर्फ इंसानों ने नहीं, पेड़ों और जानवरों ने भी पहचानी।

  • अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मोज़िज़ा हर शक को दूर कर देता है।

  • सजदा केवल अल्लाह को करना चाहिए, किसी और को नहीं।

  • रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रहमत से हर दिल बदल सकता है।

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