हज़रत उमर रज़ि. और इस्कंदरिया की फतह का प्रेरक किस्सा
इस्लामी इतिहास में कई ऐसे वाक्यात (घटनाएं) हैं जो नेतृत्व, इंसाफ और ज़िम्मेदारी की बेहतरीन मिसाल पेश करते हैं। उन्हीं में से एक है इस्कंदरिया (Alexandria) की फतह का किस्सा, जिसमें खलीफा हज़रत उमर रज़ि. का अद्भुत प्रशासनिक जज़्बा देखने को मिलता है।
हज़रत उमर रज़ि. का खत और आदेश
जब इस्कंदरिया को फतह करने में देर हो रही थी, तो हज़रत उमर रज़ि. ने अम्र बिन आस रज़ि. को एक सख्त खत भेजा। उन्होंने लिखा:
“क्या तुम लोग वहां जाकर ऐश-ओ-आराम में लग गए हो? तुम्हें चाहिए कि सब मिलकर एक साथ शहर पर जोरदार हमला करो और उसे फतह करके ही लौटो।”
हज़रत उमर रज़ि. के इस निर्देश के मुताबिक अम्र बिन आस रज़ि. ने तुरंत हमला किया और इस्कंदरिया फतह हो गया।
यह बात औरत ने तुरंत हज़रत उमर रज़ि. को पहुंचा दी। वे उसी समय बाहर निकल आए और कासिद से मिलने लगे।
आराम नहीं, उम्मत की फिक्र पहले
जब कासिद ने कहा कि उसने सोचा आप आराम कर रहे होंगे, इसलिए सीधे नहीं आया, तो हज़रत उमर रज़ि. ने गहरी बात कही:
“तुमने मेरे बारे में ऐसा क्यों सोचा? अगर मैं दिन में आराम के लिए सो जाऊं तो उम्मत का काम कौन करेगा?”
इसके बाद जब उन्होंने इस्कंदरिया की फतह की खबर सुनी, तो वे अल्लाह के सामने सजदे में गिर पड़े और शुक्र अदा किया।
हमें क्या सीख मिलती है?
- नेता को हर समय जिम्मेदारी के लिए तैयार रहना चाहिए, आराम को दरकिनार करके।
- कभी भी उम्मत (समाज) की सेवा में सुस्ती नहीं करनी चाहिए।
- खबर और सूचना समय पर पहुंचाना जरूरी है।
- फतह या सफलता पर अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए।
- सच्चे नेतृत्व की पहचान यही है कि वह अपनी जिम्मेदारी को सबसे ऊपर रखे।