हज़रत अबू बकर (रज़ि.) ने देखा जन्नती ख़्वाब

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुलाक़ात की बशारत:

हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्हु) नबी-ए-पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सबसे क़रीबी साथी और पहले खलीफ़ा थे। एक रात उन्होंने ऐसा रूहानी ख्वाब देखा जिसने उनके दिल को ख़ुशी, मोहब्बत और तड़प से भर दिया।

ख्वाब में उन्होंने देखा कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाए हैं। आपके बदन मुबारक पर दो सफेद कपड़े हैं। कुछ ही देर में वह दोनों कपड़े हरे रंग के हो जाते हैं, और उनमें इतनी चमक पैदा हो जाती है कि आँख उनपर टिक ही नहीं पाती।

उसके बाद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आगे बढ़े और फरमाया: अस्सलामु अलैक़ुम – और हज़रत अबू बकर (रज़ि.) से मुहब्बत से मुसाफ़हा किया। फिर आपने अपना रौशन हाथ हज़रत अबू बकर के सीने पर रखा। उसी पल उनके दिल और सीने की सारी परेशानी दूर हो गई और उन्हें अजीब सी रूहानी राहत महसूस हुई।

फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़र्माया:

ऐ अबू बकर! क्या अभी हमसे मिलने का समय नहीं आया?

यह सुनते ही हज़रत अबू बकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे। उनके घरवाले भी जाग गए। वे रोते हुए बोले – या रसूलुल्लाह! देखिए मुझे आपसे मिलने की इजाज़त कब मिलती है?

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें तसल्ली दी और फ़रमाया:

घबराओ मत, अब हमारी और तुम्हारी मुलाक़ात का समय क़रीब है।

ये सुनकर हज़रत अबू बकर बेहद खुश हुए और उनका दिल इस इंतज़ार में मगन हो गया कि बहुत जल्द रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की संगत फिर हासिल होगी। इस ख्वाब ने उनकी आख़िरी उम्र को मोहब्बत और इश्क़-ए-रसूल से और ज़्यादा रौशन कर दिया।

इस वाक़िए से हमें क्या सीख मिलती है?

  • रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने सच्चे आशिकों को रूहानी तौर पर तसल्ली देते हैं।

  • मुहब्बत-ए-रसूल में जीना ही सच्ची कामयाबी है।

  • नेक दिल वालों को अल्लाह ऐसे सपने दिखाता है जो उनके दिल को मज़बूत करते हैं।

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