अबूबक्र (रज़ि.) और यहूदी आलिम का वाक़िया

जब अल्लाह ने ख़ुद हज़रत अबूबक्र (रज़ि.) की गवाही दी:

हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्हु) एक बार यहूदियों के एक बड़े मदरसे में तशरीफ़ ले गए। उस दिन वहाँ यहूदियों का बहुत नामी आलिम फख़ास भी मौजूद था, जिसके वजह से बड़ी भीड़ जमा थी। हज़रत अबूबक्र ने इमान के जोश से फख़ास को नसीहत की:

ए फख़ास! अल्लाह से डरो और इस्लाम कुबूल कर लो। ख़ुदा की क़सम! मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के सच्चे रसूल हैं, जिनका ज़िक्र तुम अपनी किताबों — तौरात और इंजील में पढ़ते हो। नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो और अल्लाह की राह में ख़र्च करो ताकि जन्नत पाओ।

यह सुनकर फख़ास ने ताना मारा –

ऐ अबूबक्र! क्या तुम्हारा ख़ुदा हमसे ‘क़र्ज़’ चाहता है? तो क्या हम मालदार और ख़ुदा ग़रीब है?

इस बेहूदा बात को सुनकर हज़रत अबूबक्र को गहरा गुस्सा आया और उन्होंने तड़ाक से फख़ास के मुंह पर थप्पड़ जड़ दिया। साथ ही कहा

क़सम है अल्लाह की, अगर हमारे और तुम्हारे बीच समझौता (अमन का पैक) न होता तो मैं इसी वक़्त तेरी गर्दन उड़वा देता!

फख़ास ग़ुस्से में नबी-ए-पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पहुँचा और शिक़ायत की कि अबूबक्र ने मेरे साथ ज़ुल्म किया है।

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबूबक्र से वजह पूछी, तो उन्होंने सब हाल बयान किया। फख़ास झूठ बोलकर कहने लगा – मैंने ऐसा नहीं कहा।

तभी अल्लाह तआला ने तुरन्त क़ुरआन की एक आयत नाज़िल फ़रमाई:

अल्लाह ने यकीनन उन लोगों की बात सुन ली जो कहते हैं कि अल्लाह ग़रीब है और हम ग़नी (मालदार) हैं।
(सूरह आले इमरान: 181)

यह आयत उतरकर गवाही दे रही थी कि हज़रत अबूबक्र ने जो कहा था वह बिल्कुल सच था। इस तरह उनकी सिद्दीक़ी यानी सच्चाई पर खुद अल्लाह ने मुहर लगा दी।

हमें इस वाक़िए से क्या सीख मिलती है?

  • जब बात अल्लाह और उसके रसूल के अदब की हो, तो सच्चे मोमिन को ग़ैरत दिखानी चाहिए।

  • झूठ और कपट करने वालों को अल्लाह खुद बेनकाब कर देता है।

  • जो अल्लाह की खातिर सच्चाई पर डटा रहता है, अल्लाह उसके पक्ष में बोलता है।

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