जब एक लंगड़े और एक अंधे ने मिलकर चोरी की:
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम जब अभी युवा थे, तब अपनी वालिदा हज़रत मरयम के साथ मिस्र के एक अमीर आदमी के घर मेहमान बने। उस अमीर के घर में अक्सर ग़रीब, ज़रूरतमंद और नेक लोग मेहमान रहते थे। वो अमीर बड़ा दिलदार और मेहरबान था।
एक दिन उस अमीर के घर चोरी हो गई। कुछ कीमती सामान ग़ायब हो गया। अमीर को शक हुआ कि ज़रूर इन्हीं ग़रीब मेहमानों में से किसी ने चोरी की होगी। लेकिन कोई सबूत नहीं था।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने अपनी माँ से कहा कि उस अमीर से कहिए कि सब मेहमानों को एक जगह इकट्ठा करे। जब सभी जमा हो गए, तो हज़रत ईसा वहां पहुंचे।
उन्होंने एक लंगड़े आदमी को उठाया और एक अंधे आदमी की गर्दन पर बिठा दिया और कहा, “ऐ अंधे! इसे उठाकर खड़ा हो जा।
अंधा आदमी डरते हुए बोला, मैं बहुत कमजोर हूँ, कैसे इसे उठा सकता हूँ?
हज़रत ईसा ने जवाब दिया, कल रात जब तुमने इसे उठाया था, तब ताकत कहाँ से आई थी?
इतना सुनते ही दोनों चुप हो गए और कांपने लगे। असल में उसी अंधे ने लंगड़े को उठाया था और दोनों ने मिलकर चोरी की थी। हज़रत ईसा की हिकमत से असल चोरों का भेद खुल गया।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाकिए से हमें यह सिखने को मिलता है कि अल्लाह तआला अपने नबी को कैसी समझ और हिकमत अता करता है। सच्चाई चाहे जितनी भी छुपाई जाए, एक दिन सामने आ ही जाती है। हमें चाहिए कि कभी भी झूठ और चोरी का सहारा न लें।