अल्लाह पर भरोसे की मिसाल:
हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम अल्लाह के नबी थे, जिन्हें हर तरह की नेमतें मिली थीं — खूबसूरती, बड़ी संतान, और बहुत सारा माल-दौलत। उनके पास हज़ारों ऊँट, भेड़-बकरियां, खेती-बाड़ी और बाग़-बगीचे थे। अल्लाह तआला ने उन्हें एक बड़ी आज़माइश में डाला।
एक दिन अचानक उनके मकान के गिरने से सारी औलाद दबकर शहीद हो गई। सारी बकरियां, ऊँट और जानवर मर गए। खेती और बाग़ात तबाह हो गए। लेकिन इन सबके बावजूद, जब भी हज़रत अय्यूब अ.स. को इन नुकसानों की खबर मिलती, वे कहते —
जिसका था, उसी ने लिया। जितने वक़्त तक दिया, मेरे पास रहा, उसका शुक्र अदा करना ही काफी नहीं। मैं उसके फैसले पर राज़ी हूं।
बीमारी और तन्हाई का दौर
इम्तेहान यहीं खत्म नहीं हुआ। हज़रत अय्यूब अ.स. को एक ऐसी बीमारी ने घेर लिया कि उनके पूरे जिस्म पर फोड़े-फुंसी और ज़ख्म हो गए। लोग उन्हें छोड़कर चले गए। सिर्फ उनकी नेक बीवी उनके साथ रहीं, जो पूरी मुहब्बत से उनकी सेवा करती थीं।
अल्लाह की रहमत और शिफ़ा
कई साल सब्र करने के बाद, एक दिन उन्होंने अल्लाह से दुआ की। अल्लाह ने फरमाया:
ऐ अय्यूब! अपना पाँव ज़मीन पर मारो।
जैसे ही उन्होंने पाँव मारा, एक ठंडा मीठा पानी का चश्मा फूट पड़ा। उन्होंने उसका पानी पिया और उससे गुस्ल किया, तो सारी बीमारियां खत्म हो गईं।
हमें क्या सीख मिलती है
इस वाक़िये से हमें सब्र, शुक्र और अल्लाह पर भरोसे की ताकत का सबक मिलता है। मुसीबत कितनी भी बड़ी हो, अल्लाह तआला अपने बन्दों की मदद जरूर करता है।