हज़रत मूसा (अ.स.) और जानवरों की बोलियाँ

मौत से भागना क्यों नामुमकिन है?:

इस्लामिक इतिहास में कई ऐसे वाक़िआत (किस्से) मिलते हैं जो हमें नसीहत देते हैं और अल्लाह की कुदरत का एहसास कराते हैं। ऐसा ही एक वाक़िआ हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) के ज़माने का है, जिसमें एक व्यक्ति ने जानवरों की बोलियाँ सीखने की जिद की और उसका अंजाम बहुत हैरान करने वाला हुआ।

जानवरों की बोलियाँ सीखने की जिद
एक व्यक्ति हज़रत मूसा (अ.स.) के पास आया और बोला: हज़ूर! मुझे जानवरों की बोलियाँ सिखा दीजिए, मुझे इस बात का बहुत शौक है।हज़रत मूसा (अ.स.) ने उसे समझाया कि यह शौक उसके लिए अच्छा नहीं है, लेकिन वह बार-बार ज़िद करता रहा। आख़िरकार हज़रत मूसा (अ.स.) ने अल्लाह से दुआ की, और इजाज़त मिलने पर उसे जानवरों की बोलियाँ सिखा दीं।

कुत्ते और मुर्गे की बातचीतउस व्यक्ति ने एक मुर्गा और एक कुत्ता पाल रखा था। एक दिन खाने के बाद रोटी का टुकड़ा गिर पड़ा। मुर्गा और कुत्ता दोनों उसकी तरफ़ दौड़े। मुर्गे ने टुकड़ा उठा लिया। कुत्ता बोला: ये तूने अच्छा नहीं किया, मुझे खाने दे देता।
मुर्गे ने जवाब दिया: चिंता मत कर, कल हमारे मालिक का बैल मर जाएगा, तब तुझे खूब गोश्त मिलेगा।
यह सुनकर उस आदमी ने बैल बेच दिया। अगले दिन बैल वाकई मर गया, लेकिन अब नुक़सान खरीदार का हुआ।

घोड़े की बारी
फिर कुत्ते ने मुर्गे से शिकायत की तो मुर्गे ने कहा: कल हमारा घोड़ा मरेगा, तुझे खूब गोश्त मिलेगा।
आदमी ने यह सुना और घोड़ा भी बेच दिया। अगले दिन घोड़ा खरीदार के घर जाकर मर गया।

मौत की खबर
आखिरकार मुर्गा बोला: अबकी बार तो हमारा मालिक खुद ही मरेगा।
यह सुनकर आदमी के होश उड़ गए और वह दौड़कर हज़रत मूसा (अ.स.) के पास गया और बोला: हज़ूर! मुझे मौत से बचा लीजिए।
हज़रत मूसा (अ.स.) ने कहा: नादान! जब तूने ज़िद की थी, तभी मुझे तेरी इस अंजाम की खबर हो गई थी। अब क़ज़ा (मौत का वक़्त) नहीं टल सकता।
और सचमुच अगले दिन वह आदमी मर गया।

हमें क्या सीख मिलती है?

इस वाक़िए से हमें यह सबक मिलता है कि हमें ऐसी चीज़ों की ज़िद नहीं करनी चाहिए जिनमें हमारे लिए नुकसान हो। इंसान को अल्लाह के फैसलों पर भरोसा करना चाहिए और नादानी में ऐसी चीज़ें नहीं माँगनी चाहिए जो उसके लिए मुसीबत बन जाएँ।

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