आसा का अजूबा:
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के हाथ में एक साधारण सी लाठी थी। अल्लाह ने उनसे फ़रमाया:
ऐ मूसा! इस आसा को ज़मीन पर डालो।
जैसे ही उन्होंने उसे ज़मीन पर डाला, वह एक बड़ा और ख़तरनाक साँप बन गया। वह लहराता हुआ इधर-उधर घूमने लगा। इस नज़ारे को देख कर हज़रत मूसा घबरा गए और पीछे मुड़े बिना वहाँ से हटने लगे।
अल्लाह का हुक्म और तसल्ली
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
ऐ मूसा! डरो मत, इस साँप को पकड़ लो। यह फिर वही असा बन जाएगा।
हज़रत मूसा ने अल्लाह के हुक्म पर अमल किया और उस साँप को पकड़ लिया। जैसे ही उन्होंने उसे हाथ में लिया, वह फिर से लाठी बन गया, वैसा ही जैसा पहले था।
मिशन फ़िरऔन की तरफ़
इसके बाद अल्लाह ने हज़रत मूसा से कहा:
अब तुम फ़िरऔन की तरफ़ जाओ और उसे समझाओ कि वह कुफ़्र और ज़ुल्म छोड़ दे। अगर वह कोई निशानी मांगे तो यही आसा डाल कर उसे दिखाना।
यह चमत्कार हज़रत मूसा के नबूवत का सबूत था और फ़िरऔन के सामने अल्लाह की क़ुदरत को जाहिर करने का ज़रिया बना।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाक़िए से हमें यह सीख मिलती है कि अल्लाह तआला पर सच्चा भरोसा रखने से हर डर दूर हो जाता है। जब इंसान अल्लाह के हुक्म का पालन करता है तो वह मुश्किल हालात में भी कामयाब होता है। हज़रत मूसा का आसा हमें यह सबक देता है कि अल्लाह की क़ुदरत के आगे इंसानी ताक़त कुछ भी नहीं है।