हज़रत इब्राहीम और चार परिंदों का करिश्मा:
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अल्लाह के प्यारे नबी थे। उनका ईमान इतना मज़बूत था कि वे हर चीज़ में अल्लाह की कुदरत को देखना चाहते थे। एक दिन उनके सामने एक ऐसा मंजर आया जिसने उनके दिल में सवाल पैदा कर दिया।
समुंदर किनारे का अजीब नज़ारा
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम एक दिन समुंदर किनारे पहुंचे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक इंसान की लाश पड़ी हुई है। पहले मछलियाँ आकर उस लाश को खाने लगीं, फिर परिंदे उतरे और उन्होंने उस लाश को नोचना शुरू किया। थोड़ी देर बाद जंगल के दरिंदे आए और उन्होंने भी उस लाश को खाने लगे।
यह दृश्य देखकर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के दिल में ख्याल आया: मरे हुए लोग किस तरह दोबारा ज़िंदा होंगे?
अल्लाह से दुआ और जवाब
उन्होंने अल्लाह से अर्ज़ किया:
ऐ मेरे रब! मुझे यक़ीन है कि तू मरे हुए को ज़िंदा करता है। लेकिन मैं अपनी आँखों से यह करिश्मा देखना चाहता हूँ।
अल्लाह तआला ने जवाब दिया:
ऐ मेरे खलील! तुम चार परिंदे ले आओ। उन्हें पहचान लो, फिर ज़बह करके उनके टुकड़े करके अलग-अलग पहाड़ों पर रख दो। फिर उन्हें पुकारो, वे ज़िंदा होकर तुम्हारे पास दौड़े चले आएंगे।
परिंदों का ज़िंदा होना
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने चार परिंदे लिए – मो़र, कबूतर, मुर्ग़ और कौवा।
उन्होंने उन्हें ज़बह किया, उनके पंख और मांस मिलाकर अलग-अलग हिस्से बनाए और चारों तरफ़ के पहाड़ों पर रख दिए। उनके सिर अपने पास रख लिए।
फिर आपने आवाज़ दी:
आ जाओ!
तुरंत ही चमत्कार हुआ – हर टुकड़ा उड़कर अपनी असली जगह जा लगा। सब परिंदे पूरे बदन के साथ तैयार हुए और अपने सिरों से जुड़कर पहले की तरह ज़िंदा हो गए। फिर वो इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास आए और उड़ गए।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाक़िए से हमें यह सीख मिलती है कि:
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अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है।
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मौत के बाद ज़िंदगी देना सिर्फ़ अल्लाह का काम है।
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इंसान को अल्लाह पर पूरा भरोसा रखना चाहिए।
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अल्लाह अपने नेक बंदों की दुआ क़बूल करता है और उन्हें चमत्कार दिखाता है।