हज़रत उज़ैर का वाक़िया और 100 साल की नींद:
जब बनी इस्राईल अल्लाह की नाफ़रमानी में हद से आगे बढ़ गए तो अल्लाह ने उन पर एक ज़ालिम बादशाह बुख़्त नसर को हावी कर दिया। उसने बनी इस्राईल को मार डाला, कैद कर लिया और उनके शहरों को बर्बाद कर दिया। यहां तक कि बैतुल मक़दिस भी उजड़ गया और खंडहर बन गया।
हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम का सवाल
एक दिन हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम इस खंडहर शहर में पहुंचे। उन्होंने देखा कि पूरा शहर वीरान है, कोई इंसान नहीं बचा, सारी इमारतें ढह चुकी हैं। यह नज़ारा देखकर उनके दिल में सवाल उठा:
अल्लाह इस शहर को मौत के बाद कैसे ज़िंदा करेगा?
100 साल की नींद
उस वक़्त हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम के पास एक गधा था, एक बर्तन खजूर का और एक प्याला अंगूर के रस का। उन्होंने अपना गधा पेड़ से बाँधा और उसी के नीचे सो गए। अल्लाह ने उनकी रूह क़ब्ज़ कर ली और उनका गधा भी मर गया।
यह नींद एक दिन की नहीं बल्कि 100 साल लंबी थी। इस दौरान बनी इस्राईल पर अलग-अलग हालात गुज़रते रहे। आखिरकार अल्लाह ने एक दूसरे बादशाह के ज़रिए बैतुल मक़दिस को फिर से आबाद किया।
दोबारा ज़िंदा होना
100 साल बाद अल्लाह ने हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम को दोबारा ज़िंदा किया। उनकी आँखों में पहले जान आई, फिर पूरा जिस्म ज़िंदा हुआ। सुबह को सोए थे और जब उठे तो शाम का वक़्त था।
अल्लाह ने उनसे पूछा:
ए उज़ैर! तुम कितने वक्त ठहरे रहे?
उन्होंने कहा:
शायद एक दिन या उससे भी कम।
अल्लाह ने फरमाया:
बल्कि तुम 100 साल ठहरे रहे हो। अपने खाने-पीने की चीज़ें देखो, वो बिल्कुल ताज़ा हैं, लेकिन अपने गधे को देखो, वो तो मिट्टी हो चुका है।
गधे का ज़िंदा होना
अल्लाह ने उनके सामने गधे को भी ज़िंदा कर दिखाया। पहले हड्डियाँ जुड़ीं, फिर उन पर मांस चढ़ा, चमड़ी आई, बाल आए और आखिर में उसमें रूह डाली गई। गधा उठ खड़ा हुआ और आवाज़ निकालने लगा।
यह देखकर हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम ने कहा:
मुझे मालूम है कि अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है।
घर वापसी और पहचान
जब वे अपने मोहल्ले लौटे तो कोई उन्हें पहचान न सका। उनकी उम्र वही 40 साल की थी जबकि उनके बेटे 118 साल के बूढ़े हो चुके थे। उनके पोते भी बूढ़े हो गए थे।
एक बूढ़ी औरत, जो उनकी नौकरानी रह चुकी थी, अंधी और लाचार थी। उसने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। हज़रत उज़ैर ने दुआ की और वह औरत की आँखें ठीक हो गईं, उसके पैर भी सही हो गए। उसने तुरंत उन्हें पहचान लिया और बोली:
ये तो वाक़ई हज़रत उज़ैर ही हैं।
लोगों का यक़ीन
बूढ़ी औरत ने मोहल्ले के लोगों को बुलाया। उन्होंने यक़ीन नहीं किया। लेकिन उनके बेटे ने कहा:
मेरे वालिद के कंधों के बीच एक खास निशान है।
जब देखा गया तो वह निशान मौजूद था। तब सब ने यक़ीन कर लिया कि ये वाक़ई हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम हैं।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाक़िए से हमें कई बड़ी सीखें मिलती हैं:
-
अल्लाह मौत के बाद ज़िंदगी देने पर पूरी तरह क़ादिर है।
-
इंसान का वक़्त और तजुर्बा अल्लाह के सामने कुछ भी नहीं।
-
अल्लाह अपने बंदों को निशानियाँ दिखाकर ईमान को मजबूत करता है।
-
सच्चे नबी और वली की दुआ से चमत्कार होते हैं।
-
इंसान को हर हाल में अल्लाह पर यक़ीन रखना चाहिए।