दोस्ती की असली पहचान

सच्ची दोस्ती और विनम्रता का सबक:

सच्ची दोस्ती की पहचान यह है कि दोस्त मुश्किल और मुसीबत के वक्त साथ खड़ा हो। जब इंसान सिर्फ खुशी के पलों में साथ हो तो वह दोस्ती अधूरी है, लेकिन जो कठिन समय में सहारा बने, वही असली दोस्त कहलाता है।

इंसान जब अपनी नफ़्सानी ख्वाहिशों से आज़ादी पाता है, तभी वह हकीकत में आज़ाद बनता है। दुनियावी दिखावा, माल और मक़र व फरेब का सौदा इंसान को धोखा देता है। यही वजह है कि दुनिया अक्सर फकीर और साधारण इंसान को अहमियत नहीं देती, लेकिन उनके पास असली दौलत होती है – अल्लाह की याद और दिल का सुकून।

एक आरिफ़ वह है जिसके पास नूर-ए-बातिन होता है। वह केवल बाहर का नहीं, बल्कि भीतर का असली हाल देख लेता है। ईमान और मोहब्बत वह ताक़त है जो इंसान को अल्लाह के करीब लाती है। लेकिन इंसान की लालच और ग़फलत को शैतान आसानी से चुरा लेता है।

असल राह यही है कि इंसान आज़िज़ी (विनम्रता) अपनाए और खुदी को छोड़ दे। जब वह अपने अहंकार को मिटाता है, तो अल्लाह उसे अपने करम से नवाजता है और उसकी जिंदगी को इमान और मोहब्बत से भर देता है।

हमें क्या सीख मिलती है

  • सच्चा दोस्त मुसीबत में साथ देता है।

  • असली आज़ादी नफ़्स से आज़ादी है।

  • दुनियावी लालच धोखा है, असली दौलत ईमान और मोहब्बत है।

  • अारिफ़ की पहचान उसका नूर और सच देखने की ताक़त है।

  • विनम्रता और खुदी को छोड़ना इंसान को अल्लाह के करीब लाता है।

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