अल्लाह पर ईमान और बुतों से इनकार:
फिरऔन के ज़ुल्म से निजात पाने के बाद बनी इस्राईल ने हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) की अगुवाई में दरिया को पार कर लिया। यह एक बड़ा चमत्कार था जिसमें अल्लाह तआला ने अपने पैग़म्बर की मदद से एक पूरी क़ौम को बचाया। लेकिन जैसे ही वे दरिया पार करके आगे बढ़े, उनका सामना एक बुतपरस्त क़ौम से हुआ।
बुतपरस्त क़ौम को देखकर बनी इस्राईल की फरमाइश
वह लोग देख रहे थे कि वह क़ौम गाय के आकार के बुत बनाकर उनकी पूजा कर रही है। यह नज़ारा देखकर बनी इस्राईल के कुछ लोग हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) से कहने लगे:
ऐ मूसा! जैसे इन लोगों के कई माबूद (खुदा) हैं, उसी तरह हमारे लिए भी एक खुदा बना दीजिए।
हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) की नसीहत
यह सुनकर हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) नाराज़ हो गए और फ़रमाया:
जाहिलों! तुम ये कैसी बातें कर रहे हो? ये लोग गुमराह हैं और जो कर रहे हैं, वह सब बर्बादी और झूठ है। क्या मैं तुम्हारे लिए अल्लाह के अलावा किसी और को खुदा तलाश करूँ?
सब्र और ईमान की कमी
हालाँकि बनी इस्राईल ने अल्लाह के हुक्म से फिरऔन जैसी ताक़तवर क़ौम से नजात पाई थी, लेकिन उनका ईमान इतना कमजोर था कि थोड़ी सी दुनियावी चमक देखकर वह अपने नबी से गलत मांग करने लगे।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाक़िए से हमें यह सिखने को मिलता है कि इंसान को हर हाल में सिर्फ़ अल्लाह पर ईमान रखना चाहिए। दुनिया की चमक-दमक, नकली देवताओं और गुमराह करने वाली चीज़ों से बचना चाहिए। अल्लाह तआला ही असली माबूद है, वही हमारी मदद करने वाला और वही हमारी दुआएँ कबूल करने वाला है।