जब बारिश नहीं हो रही थी, हज़रत आयशा रज़ि. की एक रहमत भरी तरकीब से बदला मदीना का मौसम:
मदीना मुनव्वरा में एक बार तेज़ क़हत पड़ा। लंबे समय से बारिश नहीं हुई थी, ज़मीन सूख गई थी और जानवर भूख-प्यास से कमजोर हो गए थे। लोग बहुत परेशान हो गए और उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु अन्हा की खिदमत में पहुंचे।
लोगों ने उनसे गुज़ारिश की कि वो अल्लाह से बारिश के लिए दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ि. ने एक रहमत भरी बात कही – हज़रत रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की क़ब्र-ए-अनवर पर बनी छत में एक सुराख कर दो, ताकि क़ब्र और आसमान के बीच कोई परदा न रह जाए।
लोगों ने इस हिदायत पर अमल किया। जब क़ब्र-ए-अनवर और आसमान के बीच से परदा हटा, तो रहमत की बारिश इस क़दर बरसी कि सूखी ज़मीन हरी-भरी हो गई। खेतों में जान आ गई और जानवर भी तंदरुस्त हो गए।
हदीसों में आता है कि “जब आसमान ने क़ब्र-ए-अनवर को देखा, तो वह भी रो पड़ा।
इस वाक़िआ से हमें क्या सीख मिलती है?
इस वाक़िआ से हमें यह सीख मिलती है कि जब हालात मुश्किल हों, तो अल्लाह और उसके रसूल ﷺ पर तवक्कुल करना चाहिए। उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा रज़ि. की रहनुमाई और उनके दिल से निकली बात ने पूरे शहर को राहत पहुंचाई। यह भी समझ आता है कि रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से तवस्सुल (सिफारिश) करना इस्लामी इतिहास का हिस्सा रहा है।