नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का चमत्कार: जब चाँद दो हिस्सों में बंट गया:
इस्लाम के शुरुआती दौर में नबी ए करीम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को काफ़िरों की तरफ़ से बहुत सी आज़माइशों और तानों का सामना करना पड़ा। उन्हीं में से एक बड़ा दुश्मन था अबू जहल, जिसने एक दिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा:
अगर तुम सचमुच अल्लाह के रसूल हो, तो आसमान के चाँद को दो टुकड़ों में करके दिखाओ!
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
अगर मैं यह कर दूँ, तो क्या तुम ईमान लाओगे?
अबू जहल ने कहा: हाँ, दिखाओ तो सही!
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी मुबारक उंगली से चाँद की तरफ़ इशारा किया, और अल्लाह के हुक्म से चाँद दो टुकड़ों में बंट गया। यह एक खुला चमत्कार था, जिसे वहां मौजूद कई लोगों ने अपनी आंखों से देखा।
मगर अबू जहल और उसके साथी फिर भी ईमान नहीं लाए।
उन्होंने कहा:
ये तो जादू है! यह मोहम्मद का कोई धोखा है!
वे लोग हठधर्मी में इतने अंधे हो चुके थे कि उन्होंने साफ़ दिखता हुआ चमत्कार भी मानने से इनकार कर दिया। इस करिश्मे के बाद भी उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जादूगर कहा।
यह वही चमत्कार है जिसे शक्कुल कमर”कहा जाता है और यह कुरान की सूरह अल-क़मर (54:1) में भी मौजूद है:
क़रीब आ गई क़यामत, और चाँद फट गया!
हमें क्या सीख मिलती है:
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अल्लाह ने अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को वो ताक़त दी थी कि वे क़ुदरत के करिश्मे दिखा सकें।
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हठधर्मी और ईर्ष्या किसी को सच्चाई से दूर कर देती है।
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चमत्कार देखने के बावजूद भी जिनके दिल बंद हों, वे हिदायत नहीं पाते।
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ईमान केवल आँखों से देखने का नाम नहीं, दिल से स्वीकारने का नाम है।