जब भूख में मिली रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की करम-नवाज़ी:
मदीना मुनव्वरा की मस्जिद में एक रूहानी मंज़र:
हज़रत शैख़ अबू अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं कि एक बार हम मदीना मुनव्वरा हाज़िर हुए। वहां मस्जिद-ए-नबवी में मिहराब के पास हमने एक बुज़ुर्ग शख्स को सोया हुआ देखा। कुछ देर में वह जागे और जागते ही सीधे रोज़ा-ए-अनवर के पास गए और आदब से हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर सलाम पेश किया।
वह बुज़ुर्ग हँस रहे थे। एक ख़ादिम ने उनसे पूछा, आप इस कदर मुस्कुरा क्यों रहे हैं?
उन्होंने जवाब दिया, मैं बहुत भूखा था। मैंने उसी हालत में रोज़ा अनवर पर हाज़िरी दी और भूख की शिकायत की।
बुज़ुर्ग ने बताया कि उस रात मैंने ख्वाब में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे एक प्याला दूध का अता फरमाया। मैंने वह दूध भरपेट पिया।
जब मैं जागा, तो पेट भरा हुआ महसूस हुआ। मैंने अपनी हथेली पर मुंह से थूक कर दिखाया — और सबने देखा कि थूक में वाक़ई दूध था! यह मंजर देखकर हर कोई हैरान रह गया।
इस वाक़िये से हमें क्या सीख मिलती है?
इस रूहानी वाक़िये से यह साफ़ होता है कि जब दिल से फरियाद की जाती है, तो अल्लाह तआला अपने प्यारे रसूल ﷺ के वसीले से मदद फर्माता है। भूख जैसी मुश्किल भी करम और बरकत में बदल जाती है। यह वाक़िया यक़ीन, दुआ और रसूलुल्लाह ﷺ से मोहब्बत की सबसे सुंदर मिसाल है।