ईमान, चमत्कार और सच्चाई का सबक:
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक सफर पर निकले, उनके साथ एक यहूदी भी हो लिया। यहूदी के पास दो रोटियाँ थीं और हज़रत ईसा के पास सिर्फ एक। हज़रत ईसा ने कहा, चलो तीनों रोटियाँ मिलाकर साथ खाएं। यहूदी ने हामी भर दी।
पर जब खाने का समय आया, यहूदी ने सिर्फ एक रोटी निकाली। हज़रत ईसा ने पूछा, तुम्हारे पास तो दो रोटियाँ थीं, दूसरी कहाँ गई? यहूदी बोला, मेरे पास तो बस एक ही थी।
सफर आगे बढ़ा। रास्ते में एक अंधा व्यक्ति मिला। हज़रत ईसा ने अल्लाह से दुआ की और वह व्यक्ति देखने लगा। हज़रत ईसा ने यहूदी से फिर पूछा, उस अल्लाह की कसम जिसने इस अंधे को रोशनी दी, सच्चाई बता – दूसरी रोटी कहाँ गई? पर यहूदी ने फिर वही झूठ दोहराया।
कुछ दूर पर एक हिरन मिला। हज़रत ईसा ने उसे बुलाया, ज़बह किया और खा लिया। खाने के बाद हड्डियों से कहा, “قم باذن اللہ (उठ अल्लाह के हुक्म से) – और वह हिरन ज़िंदा हो गया।
तीसरी बार भी जब हज़रत ईसा ने वही सवाल किया, यहूदी ने फिर झूठ ही बोला।
यहूदी की चोरी और झूठ का अंजाम
आगे चलकर जब वे एक क़स्बे पहुँचे, यहूदी ने हज़रत ईसा का असा चुराया और दावा किया कि वह मरे हुए को जिंदा कर सकता है। वह शहर के बीमार हाकिम को मार देता है और फिर अपने झूठे दावे के अनुसार उसे ज़िंदा करने की कोशिश करता है, पर असफल रहता है।
उसे गिरफ्तार किया जाता है। तभी हज़रत ईसा वहाँ पहुँचते हैं, और अल्लाह से दुआ कर असली हाकिम को ज़िंदा कर देते हैं। सब हैरान रह जाते हैं और यहूदी की जान बच जाती है।
तीन सोने की ईंटें
सफर के अंत में उन्हें तीन सोने की ईंटें मिलती हैं। हज़रत ईसा कहते हैं:
एक मेरी, एक तेरी और तीसरी उसकी, जिसने तीसरी रोटी खाई।
अब यहूदी को लोभ हो जाता है और वह मान जाता है कि तीसरी रोटी उसी ने खाई थी। हज़रत ईसा ने तीनों ईंटें उसे दे दीं और कहा – अब तुम मेरा साथ छोड़ दो।
वह व्यक्ति बेहद खुश हुआ और अकेले ईंटें लेकर चला गया। लेकिन रास्ते में अल्लाह का अज़ाब आया और वह व्यक्ति उन ईंटों के साथ ज़मीन में धँस गया।
हमें इस वाक़िए से क्या सीख मिलती है?
इस प्रेरणादायक इस्लामी वाक़िए से हमें कई अहम सबक मिलते हैं:
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झूठ चाहे कितनी बार बोला जाए, सच एक दिन सामने आ ही जाता है।
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ईमानदारी और सच्चाई पर चलने वालों की अल्लाह मदद करता है।
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लालच और धोखा चाहे कितना भी फलदायी लगे, अंत में विनाश ही लाता है।
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अल्लाह के चमत्कार हमेशा उन लोगों के साथ होते हैं जो इमान और सब्र रखते हैं।
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जो अल्लाह के नबी को धोखा देता है, उसका अंजाम हमेशा बुरा ही होता है।