हज़रत मूसा (अ.स.) और बनी इस्राईल की गाय की हिकमत:
इस्लामिक इतिहास में कई ऐसे वाक़िआत हैं जो इंसान को सबक और हिदायत देते हैं। उनमें से एक मशहूर वाक़िआ है हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) और बनी इस्राईल की गाय का। यह किस्सा अल-कुरआन में भी बयान किया गया है, जिसमें एक क़त्ल का राज़ अल्लाह की हिकमत से उजागर हुआ। आइए इस पूरी घटना को विस्तार से जानते हैं।
क़त्ल की वारदात और हज़रत मूसा (अ.स.) से फरियाद
बनी इस्राईल में एक अमीर आदमी को उसके चचेरे भाई ने विरासत की लालच में क़त्ल कर दिया। क़ातिल ने लाश को शहर से बाहर फेंक दिया और सुबह लोगों के सामने आकर रोने-धोने लगा कि मेरे रिश्तेदार को किसी ने मार डाला।
लोग इस मामले में उलझ गए और हज़रत मूसा (अ.स.) से दरख़्वास्त की कि आप दुआ करें ताकि अल्लाह हक़ीक़त को ज़ाहिर करे।
अल्लाह का हुक्म: गाय की कुर्बानी
अल्लाह ने हज़रत मूसा (अ.स.) को हुक्म दिया कि बनी इस्राईल एक गाय की कुर्बानी करें और उसका एक टुकड़ा उस मरे हुए आदमी के जिस्म पर मारा जाए। इससे वह जिन्दा होकर खुद अपने क़ातिल का नाम बताएगा।
लोग हैरान रह गए और कहने लगे – क्या यह मज़ाक है? हज़रत मूसा (अ.स.) ने जवाब दिया – माज़अल्लाह! मैं अल्लाह का रसूल हूँ, कोई मज़ाक नहीं करता।
गाय के गुण: बनी इस्राईल की जिद्द
बनी इस्राईल ने हज़रत मूसा (अ.स.) से बार-बार सवाल किए – गाय बूढ़ी हो या जवान? उसका रंग कैसा हो? उसमें कौन-सी विशेषताएँ हों?
आख़िरकार अल्लाह ने फरमाया –
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न बूढ़ी हो, न बहुत छोटी, बल्कि बीच की उम्र की हो।
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रंग सुनहरा पीला हो जो देखने वाले को खुश कर दे।
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वह कभी खेती या काम में इस्तेमाल न हुई हो।
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बेदाग़ और बिना किसी ऐब के हो।
यतीम लड़के की गाय
ऐसी गाय ढूँढना आसान न था। आखिरकार पता चला कि एक यतीम बच्चे के पास वही गाय मौजूद है।
कहानी यह थी कि उसके बाप ने मरते समय उस गाय को अल्लाह की अमानत में छोड़ दिया था कि जब उसका बेटा बड़ा हो तो यह गाय उसके काम आए। लड़का बड़ा हुआ, नेक और माँ का आज्ञाकारी निकला।
एक दिन माँ ने उसे कहा – जंगल में तेरे लिए गाय छोड़ी गई है, उसे जाकर ले आ।” लड़के ने अल्लाह का नाम लेकर पुकारा तो गाय फौरन हाज़िर हो गई।
माँ की आज्ञाकारिता और अल्लाह की बरकत
लड़का गाय लेकर आया तो माँ ने कहा – इसे बाजार ले जाकर तीन दीनार में बेच देना। लेकिन पहले मुझसे पूछ लेना।
लड़का गाय को बाजार ले गया, एक फ़रिश्ता खरीदार बनकर आया और कीमत दोगुनी लगाई। मगर शर्त यह रखी कि माँ से पूछे बिना बेच दो। लड़के ने मना कर दिया।
बार-बार ऐसा हुआ और हर बार लड़का माँ की इजाज़त के बिना सौदा नहीं करता। आख़िरकार फ़रिश्ते ने कहा – अब इस गाय को रोके रखो, जब बनी इस्राईल आएं तो इसकी कीमत गाय की खाल को सोने से भरने के बराबर माँगना।
क़ातिल का राज़ खुलना
आख़िरकार बनी इस्राईल ने वही गाय खरीदी। उसे ज़बह किया गया और उसका एक टुकड़ा मृतक के जिस्म से लगाया गया। अल्लाह के हुक्म से मरा हुआ आदमी उठ बैठा और बोला – मुझे मेरे चचेरे भाई ने मारा है।
क़ातिल पकड़ा गया और इंसाफ़ पूरा हुआ।
हमें क्या सीख मिलती है?
इस Islamic waqiat in hindi से हमें कई अहम बातें सीखने को मिलती हैं:
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माँ की आज्ञाकारिता – बेटे ने हर हाल में माँ की इजाज़त को प्राथमिकता दी और अल्लाह ने उसकी गाय में बरकत डाल दी।
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सब्र और तौक़्क़ुल (भरोसा) – नेक इंसान ने गाय को अल्लाह की अमानत में छोड़ा, और वही गाय बेटे के लिए बरकत और दौलत बनी।
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अल्लाह का इंसाफ़ – चाहे क़ातिल कितना ही चालाक क्यों न हो, अल्लाह सच्चाई को ज़ाहिर कर ही देता है।
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हिकमत – अल्लाह के हर हुक्म में कोई न कोई हिकमत होती है, जो इंसान की समझ से परे भी हो सकती है।