औलिया अल्लाह और नूर-ए-इलाही की एकता

फ़रिश्तों की राय और औलियाओं की हकीकत:

इस्लाम की रूहानी तालीमात में इंसान की तख़्लीक (सृष्टि) और उसकी ख़िलाफ़त (नेतृत्व) का बहुत बड़ा ज़िक्र मिलता है। यह वाक़िआ हमें बताता है कि जब अल्लाह तआला ने इंसान को पैदा करने का इरादा किया तो फ़रिश्तों ने उसके खिलाफ राय दी। लेकिन औलिया अल्लाह, जो अल्लाह की हिकमत और नूर में ग़र्क थे, उन्होंने इस राय को स्वीकार नहीं किया।

फ़रिश्तों की राय और औलिया अल्लाह का यक़ीन

फ़रिश्तों ने कहा कि इंसान ज़मीन पर फसाद करेगा और खून बहाएगा। लेकिन औलिया अल्लाह की रूहें पहले ही अल्लाह के नूर और उसकी मंज़िल से वाक़िफ़ थीं। उन्होंने फ़रिश्तों की राय का मज़ाक उड़ाया क्योंकि उन्हें मालूम था कि इंसान अल्लाह की तरफ़ से ख़िलाफ़त और हिदायत लेकर आएगा।

औलिया अल्लाह की रूहानी हकीकत

औलिया अल्लाह की रूहें आलम-ए-नासूत (दुनियावी दुनिया) में आने से पहले ही हक़ीक़त से वाक़िफ़ थीं। उनकी रूहें अल्लाह के नूर में ग़र्क थीं और सबके बीच एकता पाई जाती थी। बाहर से देखने पर औलिया अलग-अलग हैं, लेकिन ब़ातिन (अंदरूनी हकीकत) में सब एक ही नूर से जुड़े हुए हैं।

इंसान की रूह और उसकी असलियत

इंसान की रूह दरअसल एक है, भले ही उसकी शक्लें और तादाद अलग-अलग हों। जैसे सूरज की रोशनी अलग-अलग खिड़कियों से आती है तो वह बंटी हुई दिखाई देती है, लेकिन हक़ीक़त में सब एक ही रोशनी होती है। उसी तरह इंसान की रूहें भी अल्लाह के एक ही नूर से जुड़ी हुई हैं।

अल्लाह के नूर की एकता

अल्लाह का नूर कभी तफ़रीक़ा (बंटवारा) बर्दाश्त नहीं करता। उसकी तजल्लीयत हर जगह मौजूद है। औलिया अल्लाह इस नूर की पहचान कराने वाले आईने हैं। उनका मक़सद यही है कि इंसान अपने अंदर अल्लाह के नूर को पहचान सके और उसकी राह पर चले।

हमें क्या सीख मिलती है?

इस वाकिए से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान केवल ज़मीन पर फसाद करने के लिए नहीं बना, बल्कि अल्लाह की ख़िलाफ़त और नूर को समझने के लिए पैदा किया गया है। औलिया अल्लाह हमें यह बताते हैं कि असल में सब एक ही नूर से जुड़े हैं। हमें अपनी ज़िंदगी को अल्लाह के नूर के मुताबिक ढालना चाहिए।

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