जिब्रील अमीन की चार अहम मदद – नबियों की हिफ़ाज़त का वाक़िया:
इस्लामी वाक़ियात में कई ऐसे मौके आते हैं जहाँ अल्लाह तआला ने अपने खास फरिश्ते हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) को तुरंत और बड़ी तेजी के साथ आसमान से ज़मीन पर भेजा। एक बार हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनसे पूछा:
ऐ जिब्रील! क्या कभी ऐसा हुआ कि तुम्हें बहुत तेजी और मशक्कत के साथ फ़ौरन जमीन पर उतरना पड़ा हो?
जिब्रील (अलैहिस्सलाम) ने जवाब दिया: जी हाँ, या रसूलल्लाह! चार मौकों पर ऐसा हुआ है।
पहला मौका: हज़रत इब्राहीम की आग में आज़माइश
जब हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को नमरूद ने आग में डाला तो अल्लाह ने जिब्रील को हुक्म दिया कि मेरे खलील तक आग के पहुँचने से पहले पहुँच जाओ।
जिब्रील अमीन तेजी से पहुँचे और अल्लाह के हुक्म से आग ठंडी और सलामत हो गई।
दूसरा मौका: हज़रत इस्माईल की कुर्बानी
जब हज़रत इब्राहीम ने अपने बेटे हज़रत इस्माईल की गर्दन पर छुरी रखी, तो अल्लाह ने जिब्रील को फ़ौरन भेजा। उन्होंने छुरी को पलट दिया ताकि इस्माईल अ़लैहिस्सलाम को ज़रा भी चोट न पहुँचे।
तीसरा मौका: हज़रत यूसुफ़ को कुएं में डाला गया
जब हज़रत यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम को उनके भाई कुएं में फेंक रहे थे, अल्लाह ने जिब्रील को हुक्म दिया कि यूसुफ़ कुएं की तह तक न पहुँचें।
जिब्रील तुरंत पहुँचे और एक पत्थर निकालकर हज़रत यूसुफ़ को उस पर आराम से बिठा दिया।
चौथा मौका: हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दाँत मुबारक
जब उहद की लड़ाई में काफ़िरों ने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दाँत मुबारक तोड़ा और खून निकला, तो अल्लाह ने जिब्रील को हुक्म दिया कि खून ज़मीन पर न गिरे।
जिब्रील अमीन फ़ौरन पहुँचे और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का खून अपने हाथों में ले लिया।
हमें इस वाक़िए से क्या सीख मिलती है?
यह वाक़िया हमें सिखाता है कि अल्लाह अपने नबियों और रसूलों की हिफ़ाज़त फरिश्तों के ज़रिए करता है। जब भी मुश्किल घड़ी आती है, अल्लाह की मदद फ़ौरन पहुँचती है। हमें अल्लाह पर पूरा भरोसा रखना चाहिए कि वह कभी अपने बंदों को तन्हा नहीं छोड़ता।