माँ-बेटे का सवाल और शैतान पर ईमान की जीत:
एक माँ ने अपने छोटे बेटे से कहा – अगर तुम्हें कोई डरावना सपना आए या फिर कब्रिस्तान में ऐसा महसूस हो कि कोई डरावनी चीज़ घात लगाए बैठी है, तो दिल को मजबूत करके उस पर हमला कर देना। वह डर भाग जाएगा।
बेटे ने मुस्कुराकर जवाब दिया – लेकिन माँ! अगर उस डरावनी चीज़ की माँ ने भी उसे यही सिखाया हो, जैसे आप मुझे सिखा रही हैं, तो वह डर भागने के बजाय मेरे गले से लिपट जाएगा।
यह बच्चा दरअसल एक गहरी सच्चाई की ओर इशारा कर रहा था – कि हर ख्याल की भी कोई जड़ होती है। अगर डर और वहम को जन्म देने वाली कोई ताकत है, तो उसकी भी कोई “माँ” होगी जो उसे यह रास्ता दिखाती है।
शैतान और इंसान का संघर्ष
यानि अगर इंसान ईमान और अल्लाह पर भरोसा रखे, तो शैतान कभी उस पर हावी नहीं हो सकता।
अगर सवाल फिर भी उठे तो?
कभी कोई पूछे कि अगर शैतान को भी किसी ने यही सिखाया होगा तो फिर उसका क्या हल है? इसका आसान जवाब है कि यहाँ सिखाने वाली सिर्फ़ एक ही ज़ात है – अल्लाह। शैतान को गुमराही मिली, लेकिन इंसान को ईमान और हिदायत।
अगर फिर भी कोई अपने दिल में यह सवाल रखे, तो सबसे अच्छा जवाब है सब्र और भरोसा। इंसान जब सब्र करता है और अपने दिल को मज़बूत रखता है, तो उसके दिल में आने वाले अच्छे ख्याल ही असल में अल्लाह की तरफ़ से हिदायत होते हैं।
मौलाना रूमी रहमतुल्लाह अलैह का संदेश
मौलाना रूमी रहमतुल्लाह ने फरमाया: ईमान और तवक्कुल अख्तियार करो शैतान तुम पर कभी ग़ालिब नहीं होगा।
उन्होंने अपनी मशहूर मसनवी का समापन भी इसी बात से किया कि –
यह सब बातें मेरी दिली वारदात नहीं, बल्कि मेरे मुरशिद हज़रत शम्स तबरेज़ी रहमतुल्लाह अलेह के दिल से मेरे दिल में उतरी हैं। क्योंकि दिल को दिल से राह होती है।
हमें इस वाक़िए से क्या सीख मिलती है?
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डर और वहम पर काबू पाने के लिए दिल को मज़बूत करना ज़रूरी है।
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शैतान का असर केवल उसी पर होता है जो ईमान और भरोसे से दूर हो।
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अल्लाह पर यक़ीन रखने से हर गुमराही से बचाव होता है।
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अच्छे ख्याल और रोशनी भरे विचार अल्लाह की तरफ से इंसान के दिल में उतरते हैं।
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सब्र और ईमान हर बुराई से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।