दिल पर असर डालने वाली तालीम का रहस्य

पीर-ए-कामिल की रहस्यमयी तालीम:

सच्चाई यह है कि पीर-ए-कामिल भी अल्लाह तआला की तरह बिना किसी ज़ाहिरी साधन के अपने मुरिदों (शागिर्दों) की तर्बियत करता है। वह बिना बोले भी उन्हें सबक़ सिखा देता है। उसका असर सीधा दिल पर पड़ता है। मुरिद का दिल उसके हाथ में मोम की तरह नरम होता है, जिस पर जब चाहे वह अपनी मुहर लगा दे।

कभी यह मुहर इज़्ज़त की होती है, कभी गुमनामी की, लेकिन उसका हर निशान हकीक़त में अल्लाह ही का होता है। जैसे ज़रगर (सुनार) की अंगूठी पर उसका निशान होता है, उसी तरह पीर की तालीम दिल पर असर छोड़ती है। यह असर सिर्फ़ उसी पीर का हो सकता है जिसने रूहानी इल्म और अल्लाह की मोहब्बत से अपने मुरिदों की परवरिश की हो।

यह सिलसिला सिर्फ़ एक दिल या एक इंसान तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह तालीम और असर सिलसिला-ए-ज़ंजीर की तरह आगे बढ़ता जाता है। हर मुरिद इस रूहानी असर से जुड़कर अपने दिल पर वही नक़्श पाता है, जो उसके पीर-ए-कामिल ने छोड़ा।

सीख:

इस वाक़िये से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे रहबर (पीर-ए-कामिल) का असर सिर्फ़ बातों से नहीं बल्कि दिल पर पड़ने वाले रूहानी असर से होता है। उसका हर निशान अल्लाह की ओर ले जाने वाला होता है।

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