नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ऊंटनी खो गई, मगर अल्लाह के इल्म से मिला उसका पता:
यह वाक़िया “जंग-ए-तबूक” के दौरान का है। एक दिन नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ऊंटनी कहीं गुम हो गई। जब यह बात फैली, तो एक मुनाफ़िक़ (दिखावे का मुसलमान) ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा:
तुम लोग कहते हो कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नबी हैं और आसमान की बातें बताते हैं, लेकिन अपनी ऊंटनी का पता नहीं बता सकते कि वह कहाँ है?
यह बात जब नबी ﷺ ने सुनी, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बहुत शांत अंदाज़ में फ़रमाया:
“बेशक मैं अल्लाह का नबी हूँ और मेरा ज्ञान अल्लाह की अता से है। सुनो! मेरी ऊंटनी फलां जगह एक पेड़ के पास खड़ी है, उसकी नकेल उस पेड़ में अटकी हुई है। वहाँ जाओ और ऊंटनी को ले आओ।”
साहबा फ़ौरन बताए गए स्थान की तरफ़ रवाना हुए। जब वे वहाँ पहुँचे, तो देखा कि ऊंटनी बिल्कुल वैसी ही खड़ी थी, जैसा नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया था। उसकी नकेल एक पेड़ में अटकी हुई थी।
यह देख सब की आँखें खुल गईं और मुनाफ़िक़ का झूठ और उसकी सोच दोनों बेनकाब हो गए। नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यह चमत्कार भी एक और सबूत बन गया कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह की तरफ़ से इल्म-ए-ग़ैब (छिपी चीज़ों की जानकारी) हासिल थी।
इस वाक़िए से हमें क्या सीख मिलती है:
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नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह ने ऐसी बातें बताईं जो इंसानी सोच से बाहर होती हैं।
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मज़ाक उड़ाने वालों को अक्सर खुद शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।
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जो लोग सच्चे दिल से मानते हैं, उनके लिए हर वाक़िया हिदायत बन सकता है।
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नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हर काम में अल्लाह की मदद और हिकमत होती है।